Home देश-दुनिया भारत ने रूस से तेल खरीदने में नहीं तोड़े नियम, ट्रंप के करीबी नवारो पर हरदीप सिंह पुरी का पलटवार

भारत ने रूस से तेल खरीदने में नहीं तोड़े नियम, ट्रंप के करीबी नवारो पर हरदीप सिंह पुरी का पलटवार

by admin

नईदिल्ली(ए)। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की ‘लान्ड्रोमैट’ (मुनाफाखोर) वाली टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि भारत ने रूसी तेल खरीदने में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है और यूक्रेन युद्ध के समय से उसके ऊर्जा व्यापार ने वैश्विक बाजारों को स्थिर करने और कीमतों को नियंत्रण में रखने में मदद की है।

उन्होंने ट्रंप के ”डेड इकानमी” वाले बयान पर भी पलटवार किया। पुरी ने ट्रंप की भारत विरोधी ”डेड इकानमी” वाली बयानबाजी का खंडन करते हुए देश की आर्थिक वृद्धि पर प्रकाश डाला जिसे दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज माना गया है। एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित अपने लेख में उन्होंने कहा, ”किसी भी महान सभ्यता की परीक्षा उसके कठिन क्षणों में होती है। अतीत में जब भी संदेह किया गया तो भारत ने हरित क्रांति, आईटी क्रांति और शिक्षा एवं उद्यम के माध्यम से लाखों लोगों को आगे बढ़ाने के लिए सम्मान के साथ जवाब दिया। 1991 के संकट से उदारीकरण आया और कोविड-19 महामारी से डिजिटल प्रगति आई।”

पुरी ने अमेरिका के दावों को किया खारिज

पुरी ने मुनाफाखोरी के दावों को खारिज करते हुए कहा कि भारत लंबे समय से फरवरी, 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से भी पहले से पेट्रोलियम उत्पादों का दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक रहा है और इसके निर्यात की मात्रा और मार्जिन मोटे तौर पर समान रहे हैं। उन्होंने नवारो का सीधे नाम लिए बिना लिखा, ”कुछ आलोचकों का आरोप है कि भारत रूसी तेल के लिए ‘लान्ड्रोमैट’ बन गया है। यह बात सच्चाई से कोसों दूर है।”

ट्रंप के करीबी ने लगाए भारत पर आरोप

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह नवारो ने एक्स पर कई पोस्टों में रूस-यूक्रेन युद्ध को ”मोदी का युद्ध” करार दिया था और नई दिल्ली पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ”युद्ध मशीन” को वित्तपोषित करने का आरोप लगाया था। पुरी ने उनका विरोध करते हुए कहा कि ईरानी या वेनेजुएला के कच्चे तेल के विपरीत, रूसी तेल खरीद पर कभी प्रतिबंध नहीं लगाया गया।

उन्होंने कहा, ”यह (रूसी तेल) जी-7/यूरोपीय संघ की मूल्य सीमा प्रणाली के अंतर्गत है जिसे जानबूझकर राजस्व पर एक सीमा लगाते हुए तेल का प्रवाह बनाए रखने के लिए डिजाइन किया गया है। ऐसे पैकेजों के 18 दौर हो चुके हैं, और भारत ने हर एक का पालन किया है।” उन्होंने आगे कहा कि भारत द्वारा किया गया हर लेन-देन वैध रहा है।

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