Home देश-दुनिया सीरियल नंबर, गवाहों के नाम और… आपराधिक मुकदमों को आसान बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए कई निर्देश

सीरियल नंबर, गवाहों के नाम और… आपराधिक मुकदमों को आसान बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए कई निर्देश

by admin

नईदिल्ली(ए)। आपराधिक मुकदमों को आसान बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निचली अदालतों के लिए कई निर्देश जारी किए। शीर्ष अदालत ने ये निर्देश चार वर्षीय बच्ची के साथ यौन हमले के दोषी एक व्यक्ति की सजा रद करते हुए जारी किए।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि आपराधिक मामलों को सुनने वाली सभी निचली अदालतें फैसले के आखिर में पेश गवाहों, प्रदर्शित दस्तावेज और प्रस्तुत व प्रदर्शित सामग्री के विवरण का सारांश दिखाने वाले टेबल वाले चार्ट शामिल करेंगे। ये चार्ट फैसले का परिशिष्ट या आखिरी हिस्सा होंगे और इन्हें साफ, व्यवस्थित व आसानी से समझ में आने वाले प्रारूप में तैयार किया जाएगा।

पीठ ने कहा, ”हमारा मानना है कि आपराधिक फैसलों को पढ़ने में आसान बनाने के लिए ज्यादा व्यवस्थित और एक जैसा तरीका अपनाया जाना चाहिए। इसलिए सुबूतों को व्यवस्थित तरीके से पेश करने के लिए हम देशभर की सभी निचली अदालतों को निर्देश जारी करते हैं। इन निर्देशों का मकसद गवाहों, दस्तावेजी सुबूतों और चीजों को सूचीबद्ध करने के लिए एक मानक प्रारूप बनाना है। इससे अपीलीय अदालत समेत सभी पक्षकारों को बेहतर समझने और तुरंत संदर्भ देने में मदद मिलेगी।”

‘आपराधिक फैसले में होगा गवाहों का चार्ट’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर आपराधिक फैसले में एक गवाहों का चार्ट होगा जिसमें सीरियल नंबर, गवाहों के नाम और मुखबिरों, चश्मदीदों, डाक्टर आदि का संक्षिप्त विवरण होगा। यह ब्योरा संक्षिप्त होना चाहिए, लेकिन गवाह के साक्ष्य चरित्र को दिखाने के लिए काफी होना चाहिए। इस व्यवस्थित प्रस्तुतिकरण से गवाही के प्रकृति का तुरंत संदर्भ मिल सकेगा, रिकार्ड में गवाह को ढूंढने में मदद मिलेगी और अस्पष्टता कम होगी।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा गया कि मुकदमे के दौरान प्रदर्शित सभी दस्तावेज का एक अलग चार्ट तैयार किया जाएगा और इसमें प्रदर्शन का नंबर, दस्तावेज का विवरण और दस्तावेज का सत्यापन करने वाले गवाहों को शामिल किया जाएगा।

साजिश, आर्थिक अपराध या बहुत सारे मौखिक अथवा दस्तावेजी साक्ष्य वाले मुकदमों जैसे जटिल मामलों में गवाहों और प्रदर्शित वस्तुओं की सूची काफी लंबी हो सकती है। इसलिए ऐसे मामलों में निचली अदालतें सिर्फ उन गवाहों व दस्तावेज का चार्ट तैयार कर सकती हैं जिन पर भरोसा किया गया है।

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