Home देश-दुनिया ब्रिक्स में पीएम मोदी का संदेश : आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों सभी देश, मौन समर्थन अस्वीकार्य

ब्रिक्स में पीएम मोदी का संदेश : आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों सभी देश, मौन समर्थन अस्वीकार्य

by admin

नईदिल्ली(ए)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के रियो-डी -जेनेरियो में चल रहे 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा कि आतंकवाद आज मानवता के सामने सबसे गंभीर चुनौती बन गया है। इसके खिलाफ आवाज उठाना केवल ‘सुविधा’ का मामला नहीं बल्कि एक ‘सिद्धांत’ होना चाहिए। उन्होंने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा, “हाल ही में भारत ने एक अमानवीय और कायरतापूर्ण आतंकी हमला झेला। यह हमला भारत की आत्मा, पहचान और गरिमा पर सीधा आघात था। यह केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर हमला था। इस दुख की घड़ी में जो मित्र देश हमारे साथ खड़े हुए, समर्थन और संवेदना व्यक्त की, मैं उनका दिल से धन्यवाद करता हूं।”

वहीं पीएम मोदी ने आतंकवाद पर दोहरे मापदंडों को खतरनाक बताया और कहा कि आतंकवादी और उनके समर्थकों के बीच कोई फर्क नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा “हमें यह नहीं देखना चाहिए कि हमला किस देश में हुआ या किस पर हुआ। ऐसा करना मानवता से धोखा होगा।”

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए। “व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवाद को चुपचाप सहन करना या समर्थन देना किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। आतंकवाद के मामले में कथनी और करनी में फर्क नहीं होना चाहिए। यदि हम ऐसा नहीं कर पाए, तो स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठेगा कि क्या हम वास्तव में आतंकवाद से लड़ने के लिए गंभीर हैं?”

पीएम मोदी ने दुनिया भर में बढ़ते संघर्षों और विशेष रूप से गाजा की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “पश्चिम एशिया से लेकर यूरोप तक आज दुनिया संघर्षों और तनावों से घिरी है। गाजा की मानवीय स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। भारत का मानना है कि कितनी भी कठिन परिस्थितियां हों, मानवता के हित में शांति का मार्ग ही एकमात्र विकल्प है।” पीएम मोदी ने भारत की शांति की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा, “भारत भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है। हमारे लिए युद्ध और हिंसा का कोई स्थान नहीं है। हम हर उस प्रयास का समर्थन करते हैं जो दुनिया को टकराव और विभाजन से दूर ले जाकर संवाद, सहयोग, समन्वय और विश्वास की ओर ले जाए।”

 

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