Home देश-दुनिया 20 हजार करोड़ रुपये से बनेंगे 87 MALE ड्रोन, 35000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर 30 घंटे से अधिक उड़ सकेंगे

20 हजार करोड़ रुपये से बनेंगे 87 MALE ड्रोन, 35000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर 30 घंटे से अधिक उड़ सकेंगे

35 हजार फीट ऊंचाई पर 30 घंटे से अधिक उड़ान भरेगा

by admin

नईदिल्ली(ए)। भारत अपनी समुद्री और जमीनी सीमाओं पर निगरानी क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए 87 मध्यम ऊंचाई और लंबी क्षमता (एमएएलई) वाले ड्रोन हासिल करने की परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाना चाहता है। इसके लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की अगुवाई में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर रक्षा मंत्रालय द्वारा जल्द उच्चस्तरीय बैठक में चर्चा किए जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि ड्रोनों में 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री होनी आवश्यक है। इसमें विभिन्न प्रमुख रक्षा कंपनियों के शामिल होने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार भारतीय निर्माताओं के लिए मेक इन इंडिया पहल के तहत इस परियोजना का उद्देश्य पाकिस्तान सीमा से लेकर चीन सीमा तक और समुद्री क्षेत्र में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ाना है।

बता दें, यह निर्णय पाकिस्तान के खिलाफ जारी ऑपरेशन सिंदूर के बीच लिया जा रहा है। इस कार्यक्रम के संभावित दावेदारों में अडानी डिफेंस, सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड, राफे एमफाइबर, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, लार्सन एंड टुब्रो और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड शामिल होंगे। ड्रोन को 35 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर लगातार 30 घंटे से अधिक उड़ान भरने में सक्षम होना होगा।

  • यह पहली बार होगा, जब स्वदेशी कंपनियां एमएएलई श्रेणी के ड्रोन की आपूर्ति का नेतृत्व करेंगी, क्योंकि इससे पहले ड्रोन के बड़े ऑर्डर इस्राइली कंपनियों को मिले हैं। 
  • 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी इस्तेमाल, रक्षा मंत्रालय जल्द प्रस्ताव पर कर सकती है चर्चा

अमेरिका से 32 एचएएलई श्रेणी के मानव रहित हवाई वाहन मिलेंगे

  • सूत्रों ने बताया कि बलों द्वारा आवश्यक ड्रोनों की संख्या का निर्धारण एकीकृत रक्षा स्टाफ द्वारा किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर किया गया है, जो बलों द्वारा कवर किए जाने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों की संख्या और आकार पर आधारित है। भारतीय बलों को एक विदेशी सैन्य बिक्री सौदे के तहत अमेरिका से 32 उच्च ऊंचाई पर लंबी अवधि तक उड़ान भरने वाला मानव रहित हवाई वाहन भी मिलेंगे। यह कार्यक्रम भारतीय उद्योग को ड्रोन उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का बड़ा अवसर भी देगा। सूत्रों के अनुसार इस परियोजना का उद्देश्य स्वदेशी फर्मों को उच्चस्तरीय, परिष्कृत प्रणालियों का निर्माण और विकास करना सीखने में मदद करना भी है।
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