नईदिल्ली(ए)। गुजरात के वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर में कैद हाथियों की वापसी को लेकर दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट वनतारा में हाथियों के अधिग्रहण की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी को 12 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में सीआर जया सुकीन ने रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर में कैद हाथियों की वापसी को लेकर याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वरले की बेंच ने एसआईटी का गठन करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि एसआईटी का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जे चेलमेश्वर करेंगे। जबकि उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र चौहान, आईपीएस और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले, आईआरएस अनीश गुप्ता को एसआईटी का सदस्य बनाया गया है।
पीठ ने कहा कि एसआईटी भारत और विदेश से पशुओं खासकर हाथियों के अधिग्रहण में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम और अन्य कानूनों के प्रावधानों के अनुपालन की जांच करेगी। एसआईटी वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (सीआईटीईएस) और जीवित पशुओं के आयात/निर्यात से संबंधित आयात/निर्यात कानूनों और अन्य वैधानिक आवश्यकताओं के अनुपालन, पशुपालन और पशु कल्याण के मानकों और उसके अनुपालन, पशुओं के व्यापार के आरोपों से जुड़ी शिकायतों, वित्तीय आरोपों और मनी लॉड्रिंग के मामलों की जांच करेगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि एसआईटी को याचिकाकर्ताओं, नियामकों, अधिकारियों, हस्तक्षेपकर्ताओं और पत्रकारों सहित विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। टीम किसी भी क्षेत्र में अपनी जांच का विस्तार कर सकती है। टीम का केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, सीआईटीईएस प्रबंधन प्राधिकरण, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, और गुजरात राज्य के वन एवं पुलिस विभाग पूरा सहयोग देंगे।
याचिका की मांग
याचिका में मांग की गई थी कि एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जाए, जो वनतारा में रखे गए कैद हाथियों को उनके असली मालिकों को वापस दिलाए और वहां मौजूद सभी जंगली जानवरों व पक्षियों को जंगल में छोड़े। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इन जानवरों और पक्षियों में कुछ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लुप्तप्राय प्रजातियां हैं, जिन्हें गुजरात में वनतारा में लाने के लिए अवैध तरीके अपनाए गए।