नई दिल्ली(ए)। इस साल इनकम टैक्स विभाग ने आईटीआर फाइल भरने की आखिरी तारीख बढ़ा दी थी, लेकिन रिफंड पाने में करदाताओं को अब भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हजारों लोगों की शिकायत है कि रिटर्न भरने के कई हफ्तों बाद भी उनके खाते में पैसा नहीं पहुंचा। अब विभाग ने खुद इस देरी की असली वजह बताई है।
क्या है देरी की असली वजह?
रिफंड में देरी के पीछे कई कारण सामने आते हैं। पैन, आधार और बैंक डिटेल में गलती होना, इनवैलिड अकाउंट डिटेल देना, गलत IFSC कोड भरना या बंद हो चुके बैंक खाते की जानकारी डालना, ये सब आम वजहें हैं। इसके अलावा टीडीएस के आंकड़े मेल न खाने पर भी आईटीआर की स्क्रूटनी होती है और पैसा देर से आता है।
बड़े रिफंड पर ज्यादा समय
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सबसे ज्यादा देरी 50 हजार रुपये से ऊपर के रिफंड में हो रही है। हालांकि, नियमों के अनुसार रिफंड की कोई लिमिट तय नहीं है, चाहे 5 हजार हो या 1 लाख। लेकिन बड़े अमाउंट के रिफंड की अधिक जांच पड़ताल की जाती है, जिसकी वजह से पैसा आने में ज्यादा समय लग जाता है।
जल्दी रिटर्न वालों को फायदा
विशेषज्ञ बताते हैं कि जो लोग समय से पहले रिटर्न दाखिल कर देते हैं, उन्हें रिफंड जल्दी मिल जाता है। अगर ई-वेरिफिकेशन भी तुरंत हो जाए, तो कई बार उसी दिन या कुछ ही दिनों में पैसा अकाउंट में आ जाता है। लेकिन जो लोग आखिरी तारीख, यानी 15-16 सितंबर को रिटर्न भरते हैं, उन्हें भारी ट्रैफिक और सिस्टम की देरी का सामना करना पड़ता है।
कितने दिनों में आता है रिफंड
इनकम टैक्स विभाग का कहना है कि ज्यादातर मामलों में ई-वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद 2 से 5 हफ्तों के भीतर रिफंड प्रोसेस हो जाता है। जिनका रिटर्न साधारण होता है, जैसे सिर्फ सैलरी और स्टैंडर्ड डिडक्शन – उनका पैसा और जल्दी मिल जाता है।
कैसे पाएं जल्दी रिफंड
एक्सपर्ट्स की सलाह है कि रिफंड का अमाउंट बड़ा या छोटा होना मायने नहीं रखता। अगर आपकी डिटेल पूरी तरह सही है और पैन-आधार लिंक है, तो पैसे तय समय पर मिल जाते हैं। बड़े रिफंड को बस ज्यादा जांच की जरूरत पड़ती है। इसलिए सबसे बेहतर तरीका है कि समय रहते रिटर्न फाइल किया जाए और सही बैंक डिटेल दी जाए, ताकि प्रोसेस जल्दी पूरा हो और देरी से बचा जा सके।