नईदिल्ली(ए)। डिजिटल पेमेंट करने वालों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। अब Google Pay, PhonePe या Paytm जैसे अलग-अलग ऐप्स में जाकर ट्रांजैक्शन देखने की जरूरत नहीं होगी। NPCI एक ऐसा सिस्टम लाने जा रहा है, जिससे यूजर्स किसी एक ऐप से ही अपने सभी यूपीआई ट्रांजैक्शन और ऑटो पेमेंट्स को देख और मैनेज कर सकेंगे, चाहे वो किसी भी ऐप पर एक्टिव क्यों न हों। यह नियम 31 दिसंबर 2025 तक सभी यूपीआई ऐप्स के लिए अनिवार्य हो जाएगा। इस बदलाव से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि डिजिटल पेमेंट का अनुभव भी पहले से कहीं ज्यादा आसान और सुरक्षित हो जाएगा।
क्या है नया बदलाव?
अभी तक यदि किसी यूजर के पास Google Pay, PhonePe और Paytm जैसे कई यूपीआई ऐप्स पर ट्रांजैक्शन या ऑटो पेमेंट्स एक्टिव हैं, तो उन्हें हर ऐप में जाकर अलग-अलग मॉनिटरिंग करनी पड़ती थी। लेकिन नए नियम के बाद, कोई भी यूजर किसी एक यूपीआई ऐप (जैसे कि Google Pay, PhonePe या Paytm) से ही सभी एक्टिव ऑटो पेमेंट्स और मैंडेट्स को एक ही प्लेटफॉर्म पर देख सकेगा।
एक ऐप से दूसरे ऐप में ट्रांसफर
NPCI द्वारा प्रस्तावित इस नियम के तहत यूजर अब अपने UPI मैंडेट्स को एक ऐप से दूसरे ऐप में ट्रांसफर (पोर्ट) भी कर सकेंगे। उदाहरण के लिए, अगर आपने Netflix या बिजली बिल का ऑटो पेमेंट Google Pay से सेट किया है, तो आप उसे कुछ ही क्लिक में PhonePe या Paytm पर शिफ्ट कर पाएंगे। इससे ऐप स्विच करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा और यूजर अपनी सुविधा के अनुसार प्लेटफॉर्म चुन सकेंगे।
यूजर्स को अतिरिक्त सुरक्षा
NPCI के अनुसार, इस बदलाव के साथ फेस आईडी और बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन जैसे एडवांस्ड फीचर्स भी शामिल किए जाएंगे। इससे यूपीआई ट्रांजैक्शन्स पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनेंगे। डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने में यह तकनीक मददगार साबित होगी, और यूजर्स को अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी।
क्या होगा फायदा?
– सभी यूपीआई ऐप्स के ट्रांजैक्शन्स को एक ही जगह से मॉनिटर करना संभव होगा
– ऑटो डेबिट्स और मैंडेट्स को आसानी से ट्रैक और कैंसिल किया जा सकेगा
– ऐप्स के बीच ट्रांजैक्शन पोर्टिंग से यूजर को ज्यादा आज़ादी और सुविधा मिलेगी
– फेस आईडी और बायोमेट्रिक जैसी सुविधाओं से डिजिटल पेमेंट्स अधिक सुरक्षित होंगे
– वित्तीय प्लानिंग करना और खर्चों पर नज़र रखना पहले से आसान होगा