Home छत्तीसगढ़ बाघिन ‘बिजली’ नहीं रही:हमारी वन्य संपदा की थी पहचान : मंत्री केदार कश्यप

बाघिन ‘बिजली’ नहीं रही:हमारी वन्य संपदा की थी पहचान : मंत्री केदार कश्यप

by admin

रायपुर। नया रायपुर स्थित नंदनवन जंगल सफारी की प्रसिद्ध मादा बाघिन ‘बिजली’ का 10 अक्टूबर की सुबह निधन हो गया। मात्र आठ वर्ष की आयु में ‘बिजली’ ने वनतारा, जामनगर (गुजरात) के ग्रीन जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में अंतिम सांस ली। वह पिछले कुछ महीनों से गंभीर किडनी और बच्चेदानी की बीमारियों से जूझ रही थी।

वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने बाघिन बिजली के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि बिजली केवल एक बाघिन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की वन्य संपदा की पहचान थी। उसकी जीवंत उपस्थिति ने नंदनवन में आने वाले हर आगंतुक को प्रभावित किया। उसकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।

उन्होंने बताया कि वन विभाग और चिकित्सकों ने पूरी निष्ठा से उसका उपचार किया, किंतु प्रकृति के आगे सभी प्रयास असफल रहे। श्री कश्यप ने कहा कि राज्य में वन्यजीवों के स्वास्थ्य और आपात चिकित्सा सुविधाओं को और मजबूत किया जाएगा।

वन मंत्री श्री कश्यप ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ‘बिजली’ के शावकों की विशेष निगरानी की जाए और उनकी देखभाल में किसी प्रकार की कमी न हो।

मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री अरुण कुमार पाण्डेय ने बताया उसकी स्थिति बिगड़ने पर 7 अक्टूबर को उसे विशेष ट्रेन से गुजरात स्थानांतरित किया गया था, ताकि उसे विशेष चिकित्सा सुविधा मिल सके। वहां पहुंचते ही उसकी जांच की गई, जिसमें ब्लड यूरिया नाइट्रोजन, क्रिएटिनिन और पोटेशियम का स्तर अत्यधिक बढ़ा पाया गया। डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम ने उसे गहन चिकित्सा इकाई में रखकर निरंतर उपचार किया, लेकिन 10 अक्टूबर की सुबह 2:30 बजे उसने अंतिम सांस ली।

उल्लेखनीय है कि बाघिन ‘बिजली’ का जन्म 2017 में नंदनवन में ही हुआ था। अपने आकर्षक रूप, तेजस्वी स्वभाव और सक्रियता के कारण वह पर्यटकों की प्रिय रही। 2023 में उसने चार शावकों को जन्म दिया था जिसमें तीन नर और एक मादा थी।

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