नईदिल्ली(ए)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि भारत लोकतंत्र और समानता की एक जीवंत मिसाल है, जिसका पथ पिछले 75 वर्षों से उसके संविधान द्वारा आलोकित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘लोकतंत्र भारत की आत्मा है, समानता इसका संकल्प और न्याय इसकी पहचान है।’ बिरला ने ये टिप्पणियां 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन (Commonwealth Parliamentary Conference) की महासभा में ‘राष्ट्रमंडल – एक वैश्विक भागीदार’ विषय पर प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कीं।
वैश्विक चुनौतियों के लिए सामूहिक समाधान पर दिया ज़ोर
लोकसभा अध्यक्ष ने रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन, महामारी, खाद्य असुरक्षा और असमानता जैसे वैश्विक संकट सीमाओं से परे हैं, जिनके लिए सामूहिक समाधान की आवश्यकता है। उन्होंने इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एकजुट प्रयासों का आग्रह किया, यह दोहराते हुए कि समाधान अकेले में नहीं खोजा जा सकता।
बिरला ने खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा के महत्व पर ज़ोर दिया और वैश्विक खाद्य तथा पोषण सुरक्षा में भारत की भूमिका को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में उजागर किया। उन्होंने याद दिलाया कि भारत कभी भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर था, और उन चुनौतीपूर्ण समय से लेकर वर्तमान वैश्विक शक्ति बनने तक का सफर वास्तव में प्रभावशाली रहा है।
उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान भारत के महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख किया, जहां देश ने 150 से अधिक राष्ट्रों को दवाएं और टीके की आपूर्ति की। उन्होंने इस विश्वास को रेखांकित किया कि स्वास्थ्य एक अधिकार है, विशेषाधिकार नहीं।
भारत की लोकतांत्रिक उपलब्धियाँ और वैश्विक पहलें
ओम बिरला ने भारत की स्थिति को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उजागर किया। उन्होंने गर्व से कहा कि भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले पूरा करने वाला पहला प्रमुख देश बन गया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) जैसी पहलों के माध्यम से ग्रह के प्रति वैश्विक जिम्मेदारी पर ज़ोर दिया। बिरला ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में भारत के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए सीट आरक्षण के प्रावधानों का हवाला दिया, और बताया कि ग्रामीण पंचायती राज संस्थाओं में 31 लाख निर्वाचित प्रतिनिधियों में से 14 लाख से अधिक महिलाएं हैं। उन्होंने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ का भी उल्लेख किया, जो संसद और विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण प्रदान करता है।
तकनीक और ‘वसुधैव कुटुंबकम्’
बिरला ने कहा कि प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डिजिटल प्लेटफॉर्म, लोकतंत्र की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि प्रौद्योगिकी मानवता की सेवा करे, न कि इसका उल्टा हो। इसके लिए, उन्होंने वैश्विक मानक स्थापित करने की वकालत की जो नवाचार को बढ़ावा दें और नकारात्मक प्रभावों को कम करते हुए सभी तक तकनीक का लाभ पहुंचाएं।
भारत की प्राचीन लोकतांत्रिक विरासत का जिक्र करते हुए बिरला ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की भावना इसकी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और ग्राम पंचायत प्रणाली में निहित है। उन्होंने कहा कि संवाद, आम सहमति और सामूहिक निर्णय लेने की परंपरा ने ही भारत को दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति बनने में सक्षम बनाया है। उन्होंने भारत के प्राचीन मंत्र ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ (अर्थात संपूर्ण विश्व एक परिवार है) का भी उल्लेख किया। बिरला ने घोषणा की कि राष्ट्रमंडल संसद के पीठासीन अधिकारियों का अगला सम्मेलन (CSPOC) 7 से 9 जनवरी, 2026 तक नई दिल्ली में आयोजित होगा, और उन्होंने सभी प्रतिनिधियों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।