Home देश-दुनिया रक्षा मंत्रालय का बड़ा कदम: भारतीय सेना को मिलेगी हाईटेक नाइट साइट, अब रात में भी दुश्मन पर रहेगी पैनी नजर

रक्षा मंत्रालय का बड़ा कदम: भारतीय सेना को मिलेगी हाईटेक नाइट साइट, अब रात में भी दुश्मन पर रहेगी पैनी नजर

by admin

नईदिल्ली(ए)। रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए असॉल्ट राइफल में लगने वाले नाइट साइट (इमेज इंटेंसिफायर) उपकरणों की खरीद के लिए 659.47 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है। यह अनुबंध एम-एस एमकेयू लि. और एम/एस मेडबिट टेक्नोलॉजीज के साथ बुधवार को हुआ। इस नाइट साइट के इस्तेमाल से सैनिक एसआईजी 716 असॉल्ट राइफल से स्टारलाइट यानी तारों की रोशनी में भी 500 मीटर तक लक्ष्य पर निशाना साधने में सक्षम हो जाएंगे। यह उपकरण पहले इस्तेमाल होने वाले पैसिव नाइट साइट्स (पीएनएस) की तुलना में काफी बेहतर साबित होंगे। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस खरीद में 51 प्रतिशत से अधिक स्थानीय सामग्री शामिल है। इसे रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस अनुबंध से न केवल सेना की लड़ाकू क्षमता बढ़ेगी, बल्कि लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को भी लाभ मिलेगा। ये उद्योग नाइट साइट के घटकों के निर्माण और कच्चा माल की आपूर्ति में योगदान देंगे। इससे देश में रक्षा निर्माण क्षेत्र के विकास को और बढ़ावा मिलेगा।

रात में अभियान संचालन करने की क्षमता में होगा सुधार
नाइट साइट तकनीक सैनिकों को रात में संचालन करने की क्षमता में सुधार प्रदान करेगी। इससे रात में भी लंबी दूरी तक सटीक निशाना साधना और सुरक्षा बढ़ाना संभव होगा। इस उपकरण से सेना के ऑपरेशन की प्रभावशीलता और सैनिकों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार होगा।

इस तरह मिलेगी मजबूती

  • रात में मददगार : स्टारलाइट जैसी कम रोशनी में भी सैनिक लंबी दूरी तक निशाना साध सकते हैं।
  •  लंबी दूरी पर सटीक निशाना : 500 मीटर तक के लक्ष्य पर प्रभावी निशाना लगाने में सक्षम।
  •  पिछले सिस्टम से बेहतर : पुराने पैसिव नाइट साइट्स की तुलना में आधुनिक और अधिक प्रभावी।
  •  आत्मनिर्भरता में योगदान : उद्योगों द्वारा बनाए जाने वाले घटक देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देंगे।
  •  एमएसएमई को लाभ : छोटे व मध्यम उद्योगों को निर्माण व कच्चे माल की आपूर्ति में मौका मिलेगा।
  •  अधिक प्रभावी ऑपरेशन : आधुनिक तकनीक के साथ सेना की लड़ाकू क्षमता में सुधार।
  •  सुरक्षा बढ़ेगी : रात में सैनिक सुरक्षित रहेंगे।
  • 32,000 फीट ऊंचाई पर मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट का सफल परीक्षण
    स्वदेशी रूप से विकसित मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम (एमसीपीएस) का 32,000 फीट की ऊंचाई पर सफल परीक्षण किया गया। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। इस सफलता ने सेना में स्वदेशी पैराशूट प्रणालियों को शामिल करने के रास्ते खोल दिए हैं।

    रक्षा मंत्रालय ने बताया, यह भारतीय सशस्त्र बलों के परिचालन उपयोग में आने वाला एकमात्र पैराशूट सिस्टम है, जिसे 25,000 फीट से ऊपर तैनात किया जा सकता है। इस सिस्टम को आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट और बंगलूरू स्थित डिफेंस बायोइंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रोमेडिकल लेबोरेटरी (डेबेल) ने विकसित किया है।

    सुरक्षा व दक्षता में होगी बढ़ोतरी
    इस परीक्षण को भारतीय वायु सेना के टेस्ट जंपर्स के जरिये पूरा किया गया। मंत्रालय ने कहा कि एमसीपीएस में उन्नत रणनीतिक सुविधाएं शामिल हैं। इससे पैराशूट उपयोगकर्ता सुरक्षित रूप से जहाज से बाहर निकलकर निर्धारित क्षेत्रों पर उतर सकते हैं।

    स्वदेशी नाविक तकनीक का उपयोग
    इसमें स्वदेशी सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम (नाविक) की सुविधा भी शामिल है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि को भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता के लिए मील का पत्थर बताया। डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी. कामत ने इसे एरियल डिलीवरी सिस्टम के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम करार दिया।

Share with your Friends

Related Posts