Home देश-दुनिया ‘दुनियाभर में एक तिथि पर रथयात्रा निकालना संभव नहीं’, ISKCON ने जगन्नाथ मंदिर समिति को लिखा पत्र

‘दुनियाभर में एक तिथि पर रथयात्रा निकालना संभव नहीं’, ISKCON ने जगन्नाथ मंदिर समिति को लिखा पत्र

by admin

भुवनेश्वर(ए)। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा को एक ही तिथि पर आयोजित करने का प्रस्ताव अब विवाद का विषय बन गया है। अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ यानी इस्कॉन ने पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति को साफ शब्दों में कहा है कि दुनिया भर में एक ही तिथि पर रथयात्रा आयोजित करना संभव नहीं है। संगठन ने बताया कि विदेशी देशों में प्रशासनिक अनुमति, मौसम की स्थिति और स्वयंसेवकों की उपलब्धता जैसी व्यावहारिक चुनौतियों के कारण यह परंपरा निभाना मुश्किल है। पुरी के गजपति महाराज दिब्यसिंह देब, जो मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने सितंबर में इस्कॉन को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि श्रीजगन्नाथ की स्नान यात्रा और रथ यात्रा केवल उसी तिथि पर आयोजित की जाए जो धार्मिक ग्रंथों और परंपरा में निर्धारित है। इस्कॉन ने स्नान यात्रा को निर्धारित ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि पर मनाने के लिए सहमति जताई, लेकिन रथयात्रा को लेकर वैश्विक एकरूपता पर असहमति व्यक्त की।

इस्कॉन का पक्ष 
इस्कॉन की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन गोवर्धन दास ने 19 अक्तूबर को भेजे पत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ही तिथि पर रथयात्रा आयोजित करने में कई असाध्य बाधाएं हैं। संगठन ने बताया कि अधिकांश पश्चिमी देशों में भगवान जगन्नाथ के अनुयायियों की संख्या बहुत कम है। वहां स्थानीय प्रशासन केवल सप्ताहांत (वीकेंड) पर धार्मिक जुलूसों की अनुमति देता है ताकि शहरों के व्यावसायिक कार्य प्रभावित न हों।

पत्र में यह भी कहा गया कि कार्यदिवसों में अधिकांश स्वयंसेवक और श्रद्धालु अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों के कारण भाग नहीं ले पाते। कई मंदिरों के पास अपने रथ नहीं हैं, और एक ही रथ को कई शहरों में ले जाकर आयोजन किया जाता है। इसके अलावा, कुछ देशों में रथयात्रा की तिथि के दौरान कठोर सर्दी का मौसम होता है, जिससे आयोजन असंभव हो जाता है।

श्रीजगन्नाथ मंदिर समिति की प्रतिक्रिया
इस बीच, गजपति महाराज दिब्यसिंह देब ने मंगलवार को इस्कॉन के इस रुख पर चिंता जताई और पुनः आग्रह किया कि संगठन अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे। उन्होंने कहा कि श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा को पूरी दुनिया में एक ही आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि से आरंभ होने वाले नौ दिवसीय शुभ कालखंड में ही मनाया जाना चाहिए। अपने पत्र में गजपति महाराज ने कहा कि जब महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, रामनवमी, गणेश चतुर्थी, होली, दीवाली, दुर्गा पूजा, वसंत पंचमी और मकर संक्रांति जैसे त्यौहार पूरी दुनिया में निर्धारित तिथि पर मनाए जाते हैं, तो रथयात्रा का अपवाद क्यों होना चाहिए।

धार्मिक और सांस्कृतिक तर्क
गजपति देब ने आगे कहा कि यह तर्क देना अनुचित है कि स्थानीय मौसम, प्रशासनिक अनुमति या प्रचार-प्रसार की सुविधा के लिए तिथियों में बदलाव किया जाए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि क्रिसमस, ईद-उल-फितर, बुद्ध पूर्णिमा, पर्युषण पर्व, योम किप्पुर और बैसाखी जैसे त्योहार भी अपने धार्मिक पंचांग के अनुसार ही मनाए जाते हैं, चाहे देश कोई भी हो। उन्होंने लिखा कि रथयात्रा की तिथि को बदलना परंपरा के मूल स्वरूप के विपरीत होगा और भगवान जगन्नाथ की पूजा पद्धति की एकता को प्रभावित करेगा।

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