नईदिल्ली(ए)। आज कृष्ण जन्माष्टमी पर ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत मेल देखने को मिल रहा है। आज के दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे विशेष शुभ संयोग बन रहे हैं, जिन्हें हर कार्य की सफलता के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसके साथ ही वृद्धि योग, ध्रुव योग, श्रीवत्स योग, गजलक्ष्मी योग, ध्वांक्ष योग और बुधादित्य योग भी इस दिन को ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ बना रहे हैं।
ये सभी 6 शुभ योग जन्माष्टमी के पावन पर्व को और भी अधिक पुण्यदायी और फलदायक बना रहे हैं। ऐसे विशेष संयोगों में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना भक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
- अष्टमी तिथि आरंभ: 15 अगस्त 2025 को रात 11:49 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025 को रात 09:34 बजे
- रोहिणी नक्षत्र आरंभ: 17 अगस्त 2025 को सुबह 04:38 बजे
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 18 अगस्त 2025 को तड़के 03:17 बजे
- चंद्रोदय का समय: 16 अगस्त को रात 10:46 बजे
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Krishna Janmashtami: चौघड़िया मुहूर्त
चर – प्रातः 05:50 – प्रातः 07:29
लाभ – प्रातः 07:29 – प्रातः 09:08
अमृत – प्रातः 09:08 – प्रातः 10:47
शाम का मुहूर्त – सायं 5.22 – सायं 7.00 -
स्थिर लग्न मुहूर्त
यदि आप भगवान श्रीकृष्ण की पूजा स्थिर लग्न में करना चाहते हैं, तो इसका समय रात 10:31 से 11:54 बजे तक रहेगा। -
ब्रह्म मुहूर्त में पूजा
जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:24 से 05:07 बजे तक रहेगा। -
कृष्ण जन्माष्टमी तिथि
पंचांग के अनुसार भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी। तिथि का समापन 16 अगस्त की रात 09 बजकर 34 मिनट पर है। हालांकि रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 4 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 18 अगस्त की सुबह 3 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि के अनुसार 2025 में जन्माष्टमी का पावन पर्व 16 अगस्त 2025 को शनिवार के दिन मान्य होगा। -
कृष्ण जन्माष्टमी आज, जानें पूजा मुहूर्त, आरती, मंत्र, पूजा विधि और सामग्री
Shri Krishna Janmashtami 2025 Live Update in Hindi: आज, 16 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। इस विशेष दिन पर देश-विदेश के मंदिरों में भव्य सजावट की जाती है, भक्त उपवास रखते हैं, और रात्रि के ठीक 12 बजे भगवान के बाल रूप ‘लड्डू गोपाल’ का विधिवत जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष जन्माष्टमी पर शुभ योगों का भी विशेष संयोग बन रहा है, जो इसे और भी पावन बना देता है।