नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 25 सितम्बर 2025 को बांसवाड़ा में अश्विनी के माही बांसवाड़ा राजस्थान एटोमिक पावर प्रोजेक्ट (4X700 MW) का शिलान्यास करेंगे। राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले में स्थित इस परियोजना में तकरीबन रु 42000 करोड़ का निवेश किया जाएगा। यह परियोजना पूरी होने के बाद देश के सबसे बड़े न्युक्लियर प्लांट्स में से एक होगी जो भरोसेमंद बेसलोड ऊर्जा की आपूर्ति करेगी तथा पर्यावरण संरक्षण एवं उभरते न्युक्लियर एनर्जी परिवेश में भारत की स्थिति को मजबूत बनाएगी।
माही बांसवाड़ा राजस्थान एटोमिक पावर प्रोजेक्ट में आधुनिक सुरक्षा फीचर्स से युक्त, स्वदेश में विकसित 700 मेगावॉट के चार प्रेशराइज़्ड हैवी वॉटर रिएक्टर्स शामिल हैं, जिन्हें IPHWR 700 के नाम से भी जाना जाता है- इन्हें NPCIL द्वारा डिज़ाइन कर विकसित गया है। यह परियोजना भारत की व्यापक ‘फ्लीट मोड’ पहल का एक भाग है, जहां एक समान डिज़ाइन एवं प्रोक्योरमेन्ट योजनाओं के तहत दस एक समान 700 मेगावॉट रिएक्टर्स बनाए जा रहे हैं। तीन ऐसे रिएक्टर्स शुरू किए जा चुके हैं और माही बांसवाड़ा भी इसी फ्लीट का एक भाग है। यह दृष्टिकोण आत्मनिर्भर भारत की भावना को बढ़ावा देता है तथा किफायती, तीव्र तैनाती एवं समेकित संचालन विशेषज्ञता को सुनिश्चित करता है।
माही बांसवाड़ा राजस्थान एटोमिक पावर प्रोजेक्ट का विकास अणुशक्ति विद्युत निगम लिमिटेड (ASHVINI) द्वारा किया जा रहा है- जिसमें एनपीसीआईएल (51%) और एनटीपीसी (49%) की संयुक्त भागीदारी है। परियोजना के विकास में दोनों कंपनियों की वित्तीय, तकनीकी एवं परियोजना विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा।
माही बांसवाड़ा राजस्थान एटोमिक पावर प्रोजेक्ट राजस्थान एवं अन्य लाभार्थियों को स्वच्छ, किफ़ायती एवं भरोसेमंद विद्युत की आपूर्ति देगा। इससे क्षेत्र में रोज़गार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष अवसर उत्पन्न होंगे, साथ ही यह परियोजना स्थानीय समुदायों, कारोबारों एवं उद्योगों को सहयोग प्रदान कर राज्य एवं देश में आर्थिक विकास एवं समृद्धि को नई गति प्रदान करेगी।
इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री राजस्थान के फलौदी में आरएसडीसीएल नोख सोलर पार्क (925 MW) का उद्घाटन भी करेंगे, जिसमें एनटीपीसी 735 मेगावॉट क्षमता विकसित कर रही है। यह नवीकरणीय परियोजना भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता में योगदान देगी, पर्याप्त मात्रा में हरित विद्युत उत्पन्न करेगी, जिससे हर साल कार्बन डाई ऑक्साईड के उत्सर्जन में कई मिलियन टन की कमी आएगी। ऊर्जा सुरक्षा को सशक्त बनाने के अलावा यह हज़ारों प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष नौकरियां उत्पन्न कर आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी।