नईदिल्ली(ए)। संसद ने सात अगस्त को दो महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दी। राज्यसभा ने तटीय नौवहन विधेयक, 2025 (द कोस्टल शिपिंग बिल, 2025) को मंजूरी दे दी, जबकि लोकसभा ने मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित कर दिया। दोनों विधेयकों का देश के व्यापार, नौवहन और राज्य की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
इन विधेयकों को उस समय पारित किया गया जब संसद में विपक्षी सांसद बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर चर्चा की मांग को लेकर विरोध कर रहे थे। इसके बावजूद सरकार ने ये बिल पारित करा लिए।
- तटीय नौवहन विधेयक से क्या बदलेगा?
राज्यसभा में पास हुआ तटीय नौवहन विधेयक, 2025 भारत के तटीय क्षेत्रों में व्यापार और परिवहन को आसान बनाएगा। इस बिल का मकसद भारतीय जहाजों पर अनुपालन बोझ को कम करना है ताकि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिल सके। यह कानून भारत के तटीय जल यानी समुद्र के 12 नॉटिकल मील (लगभग 22 किलोमीटर) तक और इससे सटे समुद्री क्षेत्र यानी 200 नॉटिकल मील (370 किलोमीटर) तक के क्षेत्र में लागू होगा।
इसका सीधा असर देश की आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) और व्यापारिक गतिविधियों पर पड़ेगा। इससे यह भी सुनिश्चित करता है कि भारत के पास एक मजबूत कोस्टल फ्लीट हो, जो पूरी तरह भारतीय नागरिकों के स्वामित्व और संचालन में हो। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापारिक हित दोनों की रक्षा होगी। सरकार का मानना है कि तटीय व्यापार को बढ़ावा देने से जल परिवहन को बल मिलेगा और सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा।
- क्यों जरूरी मणिपुर जीएसटी संशोधन विधेयक?
लोकसभा में पास हुआ मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 राज्य के टैक्स ढांचे में जरूरी बदलाव लाता है। इस बिल से पहले इसी विषय पर एक अध्यादेश लाया गया था, जिसे अब कानून में बदला गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि यह संशोधन संविधानिक रूप से आवश्यक है और अगर इसे पास नहीं किया गया, तो मणिपुर सरकार को टैक्स लगाने के अधिकार में दिक्कत होगी।
बिल के जरिए मणिपुर जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा नौ में बदलाव किया गया है, जिससे राज्य अब मानव उपभोग हेतु निर्मित शराब में उपयोग होने वाले अल्कोहल (एक्सट्रा न्यूट्रल एल्कोहल यानी ईएनए ) पर टैक्स लगा सकेगा। इससे राज्य की राजस्व आय बढ़ने की संभावना है और जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों को भी लागू किया जा सकेगा।
- सिफारिशों के अनुरूप संशोधन
यह संशोधन जीएसटी काउंसिल की 52वीं बैठक की सिफारिशों के अनुरूप है, जो अक्टूबर 2023 में हुई थी। काउंसिल ने यह तय किया था कि (एक्सट्रा न्यूट्रल एल्कोहल यानी ईएनए), जिसका उपयोग शराब निर्माण में होता है, उसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए, ताकि राज्य इस पर स्वतंत्र रूप से टैक्स लगा सकें। इससे मणिपुर जैसे राज्यों को विशेष लाभ मिलेगा, जहां शराब उत्पादन और बिक्री एक अहम आर्थिक गतिविधि है।