भोपाल(ए)। देश में टाइगर स्टेट का तमगा रखने वाले प्रदेश में इस साल महज 8 महीने में ही 40 बाघ और शावकों की मौत हो गई। यह देशभर में इस साल हुई सबसे ज्यादा मौतों का आंकड़ा है। इसके बाद महाराष्ट्र है। चौंकाने वाली बात यह है कि मरने वाले बाघों में से 5 से 8 साल के उम्र की 9 बाघिन हैं। ये प्रदेश में बाघों कुनबा बढ़ाने में मददगार साबित होतीं। मौतों की बड़ी वजह सरकारी लापरवाही और निगरानी तंत्र का फेल होना है। हालांकि कुछ मामलों में आपसी संघर्ष भी बाघों की जान गई है। हाल ही के दिनों में सतपुड़ा, पेंच, कान्हा टाइगर रिजर्व से बाघों की मौत के मामले आए हैं।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पत्र से हुआ खुलासा
बाघ संरक्षण के लिए अफसर कितने गैर-जिम्मेदार हैं, इसका खुलासा प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पत्र से हुआ है। उन्होंने भी माना कि रिजर्व और जंगलों में बाघों की मौतें हो रही हैं और पता नहीं चल रहा। यह सबसे बड़ी चूक है। पिछले 20 से 25 दिनों में 6 बाघों की मौतों के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख वीएन अंबाड़े ने 20 अगस्त को अफसरों की खिंचाई की। सार्वजनिक पत्र जारी कर कहा, रिजर्व क्षेत्र व जंगलों में बाघों की मौतें हो रही है और पता नहीं चल रहा, जो सबसे बड़ी चूक है। उन्होंने चेताया कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ठोस कार्रवाई के दायरे में लेंगे।
बाघ की मौतों के ये प्रमुख कारण
– अंतरराष्ट्रीय, अंतरराज्यीय शिकारी मध्य प्रदेश में सक्रिय हैं।
– वे कुछ स्थानीय लोगों को रुपए का लालच देकर शिकार करा रहे। विभाग इस गठजोड़ को नहीं तोड़ पा रहा।
– अंतरराष्ट्रीय बाजार में बाघों की हड्डी, खाल व अन्य अवशेषों की मांग है। इस चक्कर में शिकार हो रहे हैं। अफसर इसे नियंत्रित नहीं कर पा रहे।
– जंगलों में आग, वैध-अवैध कटाई, सरकारी प्रोजेक्ट्स, अतिक्रमणों से वन क्षेत्र व हरियाली का दायरा घट रहा है।
– शाकाहारी वन्यजीवों की कमी बढ़ रही है। बाघों के बीच आपसी संघर्ष जैसी स्थिति बन रही। इसे दूर करने की ठोस योजना नहीं।
– शिकार की घटनाएं होने और वन अफसरों की लापरवाही से होने वाली मौतों पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हो पा रहीं।
बाघों को लेकर कितने लापरवाह अफसर
-प्रदेश में बाघों की मौत पर पहली बार वन बल प्रमुख ने खुले तौर पर अफसर- कर्मचारियों की निंदा की।
-पहले के कुछ अफसर विभागीय वाट्सऐप ग्रुप पर मजाक उड़ाते थे।
-एक आइएफएस ने तो कहा था कि जो बाघ बूढ़े होंगे, उनकी मौत तय है।
-कुछ अफसर गंभीर मामलों में भी मौतों को आपसी संघर्ष का नाम देकर बचते रहे थे।
मध्य प्रदेश में पांच साल में बाघों की मौत- Shocking Facts
वर्ष- बाघों की कुल मौतें
-2025- 40
-2024- 50
-2023- 43
-2022- 34
-2021- 41
(नोट: शावक- युवा व वयस्क बाघों की मौत के आंकड़े एनटीसीए की रिपोर्टों के अनुसार 23 अगस्त 2025 तक।)
अभी सिर्फ पत्र जारी किया है, अब हुई मौत तो होगी सख्त कार्रवाई
अभी सिर्फ पत्र जारी किया है। आगे यदि बाघ व शावकों की मौत प्राकृतिक कारणों के अलावा अन्य कारणों से होती है तो संबंधितों पर ठोस कार्रवाई करेंगे। रिजर्व व सामान्य वन क्षेत्रों में कोई कमी है, जो मौतों की वजह बन रही है या बन सकती है तो अफसर समय रहते उसे दूर करने के प्रयास करें।
-वीएन अंबाडे, वन बल प्रमुख, मध्य प्रदेश