नईदिल्ली(ए)। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने शुक्रवार को कहा कि वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए राफेल लड़ाकू विमान भी विकल्पों में शामिल है। उन्होंने साफ किया कि राफेल पहले से इस्तेमाल में होने के कारण उसे अपनाना वायुसेना के लिए आसान होगा। सरकार 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) खरीदने की बड़ी योजना पर काम कर रही है। यह सौदा करीब 18 अरब अमेरिकी डॉलर का हो सकता है और इसे दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य खरीद योजनाओं में गिना जा रहा है। 2019 में वायुसेना ने इसके लिए प्रारंभिक टेंडर (आरएफआई) जारी किया था।
राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन को इस सौदे में मजबूत दावेदार माना जा रहा है। अन्य विकल्पों में लॉकहीड मार्टिन का एफ-21, बोइंग का एफ/ए-18 और यूरोफाइटर टाइफून शामिल हैं। वहीं रूस का आधुनिक स्टील्थ लड़ाकू विमान SU-57 भी चर्चा में है, लेकिन उस पर वायुसेना प्रमुख ने सीधा जवाब देने से परहेज किया। उन्होंने कहा कि किसी भी सिस्टम की खरीद एक तय प्रक्रिया से होती है और वही अपनाई जाएगी।
‘राफेल सबसे उपयुक्त विमान साबित हुआ था’
इस समय भारतीय वायुसेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन बचे हैं, जबकि जरूरत 42 स्क्वाड्रन की है। इससे पहले 12 साल पहले भी सरकार ने मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन वह सौदा पूरा नहीं हो पाया। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि उसी प्रक्रिया में राफेल सबसे उपयुक्त विमान साबित हुआ था, इसलिए अब उसे अपनाना अपेक्षाकृत आसान होगा।
उन्होंने साफ कहा, ‘राफेल हो या कोई और, फर्क नहीं पड़ता। जो कंपनी भारत में उत्पादन करेगी, तकनीक देगी और ज्यादा स्वतंत्रता देगी, वही हमारे लिए सही होगी।’
भविष्य में भी मानव की भूमिका खत्म नहीं होगी- एपी सिंह
एलन मस्क के हालिया बयान- ‘भविष्य में युद्ध ड्रोन से लड़े जाएंगे, मानव-संचालित विमान की जरूरत नहीं होगी’ – पर वायुसेना प्रमुख ने असहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘दुनिया में इस समय तीन-चार बड़ी परियोजनाएं चल रही हैं जिन्हें छठी पीढ़ी के विमान कहा जा रहा है। वे सभी मानव-संचालित हैं। भविष्य में भी मानव की भूमिका खत्म नहीं होगी। हां, ड्रोन जरूर बढ़ेंगे, लेकिन वे मानव-संचालित विमानों के साथ मिलकर काम करेंगे।’