Home देश-दुनिया बारिश-बर्फबारी के बाद गुलाबी ठंड की शुरुआत, पहाड़ों पर तेजी से गिरेगा पारा, मैदानी इलाकों में कब आएगी सर्दी?

बारिश-बर्फबारी के बाद गुलाबी ठंड की शुरुआत, पहाड़ों पर तेजी से गिरेगा पारा, मैदानी इलाकों में कब आएगी सर्दी?

by admin

नईदिल्ली(ए)। उत्तर भारत में मानसून की विदाई के साथ ही मौसम भी करवट लेने वाली है। एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल एवं उत्तराखंड समेत मैदानी क्षेत्रों में तीन-चार दिनों के भीतर गर्मी और उमस से राहत मिल जाएगी, क्योंकि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से कई क्षेत्रों में तेज हवा के साथ बारिश का दौर शुरू हो चुका है।

भारत मौसम विभाग (आइएमडी) का अनुमान है कि सोमवार से उत्तर भारत में मौसम में बड़ा बदलाव दिखाई देगा और आठ अक्टूबर से तापमान में चार से पांच डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की जा सकती है। जम्मू-कश्मीर और उसके आसपास के क्षेत्रों में चक्रवाती सर्कुलेशन सक्रिय हो चुका है, जिससे बारिश के साथ ओलावृष्टि और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना है।

हिमाचल और उत्तराखंड तक दिखेगा असर

पश्चिमी विक्षोभ का असर हिमाचल और उत्तराखंड तक दिखेगा। ऊपरी क्षेत्रों में झमाझम बारिश होगी। इससे तापमान में तेज गिरावट आएगी और ठंड का अहसास जल्द ही शुरू हो जाएगा। आईएमडी के अनुसार यह पश्चिमी विक्षोभ इस सीजन का पहला बड़ा सिस्टम है जो उत्तर भारत के मौसम को पूरी तरह बदल देगा। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सात अक्टूबर तक गरज-चमक के साथ भारी बारिश और 40 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाएं चल सकती हैं।

हालांकि मंगलवार के बाद वर्षा में कमी आ जाएगी। नौ अक्टूबर से मौसम शुष्क रहेगा और न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट शुरू हो जाएगी। उधर, बिहार में पिछले दो दिनों से मूसलाधार बारिश के चलते हजारों एकड़ फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। उत्तर बिहार की नदियां उफान पर हैं, जिससे कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं। मध्य भारत में भी आगामी दो दिनों तक गरज-चमक के साथ बारिश का सिलसिला जारी रहेगा।

अरब सागर में सक्रिय चक्रवाती तूफान ‘शक्ति’ धीरे-धीरे कमजोर होकर अवदाब में तब्दील होने की ओर बढ़ रहा है, जिसका असर गुजरात और राजस्थान के कुछ जिलों में हल्की से मध्यम बारिश के रूप में दिखेगा। अक्टूबर की शुरुआत इस बार मौसमीय हलचल से भरपूर रहने वाली है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह ठंड सामान्य से पहले दस्तक दे सकती है और इस बार उत्तर भारत में सर्दी का असर पिछले वर्षों की तुलना में अधिक कड़ा रह सकता है।

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